सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव जरूरी: रुचिता उपाध्याय

सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव जरूरी: रुचिता उपाध्याय

 0  56
सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव जरूरी: रुचिता उपाध्याय
सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव जरूरी: रुचिता उपाध्याय

भारतीय चन्द्र-सौर कैलेंडर के अनुसार, एक वर्ष में छह ऋतुएँ होती हैं। वैदिक काल से, भारत, दक्षिण एशिया सहित विश्व के ज्यादातर हिस्सों में इस कैलेंडर का उपयोग वर्ष के मौसम के बदलाव और उससे अपने जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के लिए किया जाता रहा है।

छह ऋतुएँ वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर होती हैं। अभी आने वाला समय शिशिर ऋतु का है।

योगाचार्या रूचिता उपाध्याय बताती है कि स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारियों से दूर रहने के लिए आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान ने सभी ऋतुओं के लिए अलग - अलग ऋतुचर्या का उल्लेख किया है।

शिशिर ऋतु में माघ और फाल्गुन महीने होते हैं यानी जनवरी के मध्य से मार्च के मध्य तक। इस काल में पृथ्वी की सूर्य और चन्द्रमा के सापेक्ष स्थिति में परिवर्तन के कारण प्रकृति में कुछ परिवर्तन होते हैं। शिशिर ऋतु में रातें दिनों की तुलना में लंबी होती हैं जो ऋतु के बढ़ने के साथ छोटी होने लगती हैं।

शिशिर ऋतु में आहार विज्ञान के वैज्ञानिक तथ्य पर प्रकाश डालते हुए रूचिता आगे कहती हैं कि इस समय बाहरी ठंडे वातावरण की प्रतिक्रिया में हमारा शरीर गर्मी को बनाए रखना शुरू कर देता है, जिससे पाचन क्षमता जिसे हम जठराग्नि कहते हैं, मजबूत और बेहतर होती है।

इस तरह हम भारी खाद्य पदार्थ, डेयरी उत्पाद जैसे दूध, पनीर, घी आदि को पचाने में सक्षम होते है। ठंडी, शुष्क सर्दियों में मीठे, खट्टे और नमकीन खाद्य पदार्थ विशेष रूप से फायदेमंद होते हैं। रुचिता कहती हैं कि राजमा, काली बीन्स, आलू, शकरकंद, गाजर, चुकन्दर, कद्दू, पोषण युक्त आहार जैसे खजूर, सूखे मेवे से बने उत्पादों का सेवन करना चाहिए।

साथ ही गेहूं का आटा, मक्का और मिश्रित वसा शरीर की गर्मी बनाए रखने में अच्छे होते हैं। साथ ही इस मौसम में गन्ने के रस से बने मीठे पदार्थ जैसे गुड़ आदि का सेवन किया जा सकता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार आंवले से बने पदार्थ खाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।

यह बहु-विटामिन, बहु-खनिज और एंटीऑक्सीडेंट का बेहतर हर्बल पूरक होता है। वैलनेस मोटिवेटर रूचिता बताती हैं कि गुनगुने पानी के साथ शहद लिया जा सकता है। सेब, अमरूद, अंगूर, सूखे मेवे, खजूर व अन्य मौसमी फलों एवं उनके ताजे जूस का सेवन करना चाहिए।

जीवन शैली में करने वाले बदलावों के लिए रूचिता कहती हैं कि नहाने से पहले गर्म सरसो के तेल से मालिश करनी चाहिए। उसके बाद रोजाना स्टीम बाथ भी ले सकते हैं। यह वात दोष को बढ़ने से भी रोकती है।

स्नान के बाद केसर, अगरु जैसे सुगंधित एवं गर्मी पैदा करने वाली जड़ी बूटियों से युक्त लोशन का लेपन कर सकते हैं जिससे सुगंध चिकित्सा से मन प्रसन्न और शरीर गर्म रहता है। इस ऋतु में कठिन योगाभ्यास, एरोबिक व्यायाम या अन्य प्रकार का शारीरिक व्यायाम किया जा सकता है।

कमरे में अगरु के धूपन से श्वसन मार्ग साफ रहता है, और यह कफ को दूर करता है, साथ ही यह कमरे को गर्म और आरामदायक रखता है। प्राकृतिक स्वेदन के लिए सुबह की सूर्य की किरणों के सामने खुद को रखना चाहिए। 

रुचिता इस ऋतु के अपथ्यों को बताते हुए कहती हैं की कड़वे और मसालेदार भोजन से बचना चाहिए क्योंकि ये शरीर में वात और रूखापन बढ़ाते हैं। रूखे, ठंडे और हल्के भोजन से जितना सम्भव हो बचने का प्रयास करना चाहिए।

ठंडी और तेज हवा के संपर्क में नहीं आना चाहिए। उपवास यानि ज्यादा देर तक भूखे रहने से और दिन में सोने से बचना चाहिए। विशेष रूप से ठंडे खाद्य पदार्थ और पेय लेने से बचना चाहिए

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow