पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय व्यापार को अटारी सीमा से पुनर्जीवित किया जाना चाहिए: प्रो. सरचंद सिंह ख्याला

पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय व्यापार को अटारी सीमा से पुनर्जीवित किया जाना चाहिए: प्रो. सरचंद सिंह ख्याला

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पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय व्यापार को अटारी सीमा से पुनर्जीवित किया जाना चाहिए: प्रो. सरचंद सिंह ख्याला
पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय व्यापार को अटारी सीमा से पुनर्जीवित किया जाना चाहिए: प्रो. सरचंद सिंह ख्याला

अमृतसर : राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा को भारतीय जनता पार्टी के सिख नेता एव राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सलाहकार प्रोफेसर सरचंद सिंह ने अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के माध्यम से भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय व्यापार को बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास वकालत करने का आग्रह किया।

और कहा कि पंजाब के औद्योगिक विकास और वाणिज्यिक विकास के बिना पंजाब प्रगति नही कर सकता स : लालपुरा से मुलाकात के दौरान भाजपा नेता प्रो. गुरविंदर सिंह ममनके, आलमबीर सिंह संधू और अरुण शर्मा भी मौजूद थे।

प्रो. सरचंद सिंह ने कहा कि फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद कर दिया और उससे पसंदीदा देश होने का दर्जा वापस ले लिया. उन्होंने कहा कि चार साल की लंबी अवधि बीत चुकी है और स्थिति बदल गई है।

उन्होंने कहा कि पंजाब को कृषि और व्यापार के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर उभारने के प्रयास तब तक सफल नहीं होंगे जब तक कि अटारी सीमा के माध्यम से पाकिस्तान और मध्य एशिया सहित खाड़ी देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा नहीं दिया जाता है। अटारी वाघा बॉर्डर से व्यापार के बिना पंजाब का विकास मॉडल अधूरा रहेगा.

प्रो. सरचंद सिंह ने कहा कि अटारी-वागा के जरिए व्यापार को पुनर्जीवित करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। जिसकी कमी भारत के प्रधानमंत्री में नहीं है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के गतिशील नेतृत्व में दुनिया भर में भारत का गौरव बढ़ा है। विदेशों में रहने वाले हमारे लोग सिर ऊंचा करके चलने लगे हैं। पंजाब, पंजाबी और सिखों के प्रति नरिंदर मोदी की अच्छी सोच और दृष्टिकोण से हर कोई वाकिफ है। पंजाब पंजाबियों का है।

लेकिन दुर्भाग्य से जिस तेजी से पंजाब के नौजवान पढ़ाई और रोजगार के नाम पर विदेश जाने के लिए पंजाब छोड़ रहे हैं, वापस न लौटने की ख़्वाहिश के साथ, तो बहुत जल्द यह पंजाब पंजाब नहीं रहेगा। पंजाब की मानसिक पीड़ा को समझने की जरूरत है। लंबे समय तक उग्रवाद और उस समय के अक्षम नेतृत्व के कारण गैंगलैंड बन चुके पंजाब के विकास पर ब्रेक लग गया है।

आज पंजाब कानून व्यवस्था की स्थिति और बेरोजगारी की एक बड़ी समस्या का सामना कर रहा है। किसान आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या करने को विवश हैं। युवावस्था नशे के बहाव में बह रही है। न केवल औद्योगिक क्षेत्र में ठहराव आ गया है, बल्कि पंजाब के उद्योग दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं।

प्रोफेसर सरचंद सिंह ने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार की प्रासंगिकता इसलिए भी है कि इससे भारत के कई राज्यों को आर्थिक समृद्धि के अवसर मिलेंगे। खासकर पंजाब के लिए विकास के नए क्षितिज खुलेंगे। व्यापार प्रतिबंधों पर पुनर्विचार करने और शांति, सद्भाव और सुरक्षा व्यवस्था के उद्देश्य से कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाते हुए संवाद प्रक्रिया शुरू करने की आवश्यकता है।

पाकिस्तान के साथ समुद्री मार्ग से व्यापार किया जा सकता है तो पंजाब के थल मार्ग से क्यों नहीं? जानकारों के मुताबिक व्यापार बंद होने से पंजाब को सालाना 5000-7000 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो रहा है. विश्व बैंक के अनुसार इस मार्ग से 37 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार करने की क्षमता है।

भारतीय उपमहाद्वीप के देश भारत के नेतृत्व की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं। तालिबान के अधीन अफगानिस्तान भारत के साथ संबंध बढ़ाने का इच्छुक है। भुखमरी, गरीबी और बदहाली के कारण जिस तरह अफगानिस्तान के लोग न सिर्फ अपने घर का सामान बल्कि अपने शरीर के अंगों और बच्चों को बेचने को मजबूर हैं,

पाकिस्तान में भी हालात कुछ ऐसे ही हो गए हैं। आज पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था चरमरा गई है। आंतरिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा पाकिस्तान भारत के साथ व्यापार को लेकर सकारात्मक रुख देख रहा है। बेशक, भारत आतंकवाद और हिंसा से मुक्त वातावरण में ही पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है।

प्रोफेसर सरचंद सिंह ने कहा कि अटारी के रास्ते व्यापार बंद होने से वाघा बॉर्डर व्यापार की दृष्टि से वीरान पड़ा है. सीमा क्षेत्र के लोग और व्यापारी अभी भी व्यापार प्रतिबंधों के कारण हुए वित्तीय और मनोवैज्ञानिक आघात से उबर नहीं पाए हैं।

व्यापार बंद होने से पहले इस सीमा मार्ग से रोजाना 400 ट्रक आवागमन करते थे। जहां कस्टम ड्यूटी में 200 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है, वहीं व्यापार भी ठप हो गया है. अटारी-वाघा सीमा पर व्यापार बंद होने से अमृतसर, गुरदासपुर और तरनतारन में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी हुई।

तीन पीढ़ियों से कुली का काम करने वाले करीब 3 हजार लोगों और उनके परिवारों, ट्रक चालकों, मैकेनिकों, स्थानीय व्यापारियों और ढाबा मालिकों की आजीविका प्रभावित हुई है। अमृतसर धार्मिक पर्यटन के अलावा एक प्रमुख व्यावसायिक केंद्र है।

अटारी लैंड पोर्ट इंडिया ने अमृतसर से थोड़ी दूरी पर भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अटारी में अपना पहला लैंड पोर्ट विकसित किया है। यह व्यापार के लिए स्वीकृत भूमि मार्ग है।

कुल 120 एकड़ में फैले लैंड पोर्ट अटारी की राष्ट्रीय राजमार्ग-1 तक सीधी पहुंच है। द्विपक्षीय व्यापार के लिए अटारी में स्थापित एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) में स्कैनर व्यवस्था, मशीनीकृत कार्गो हैंडलिंग उपकरण और हाइड्रा क्रेन सहित सभी बुनियादी सुविधाएं हैं।

पंजाब राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अटारी-वागा के माध्यम से पाकिस्तान के साथ व्यापार खोलकर इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

यह मार्ग एक व्यावहारिक और आर्थिक प्रवेश द्वार है। राष्ट्रीय सुरक्षा हमारा सर्वोच्च प्राथमिकता वाला एजेंडा है। व्यवसाय प्रक्रिया को चलते रहना चाहिए। परन्तु आयात-निर्यात की वस्तुओं की संख्या भी बढ़ानी चाहिए। इसके साथ ही व्यापारियों और यात्रियों की सुविधा के लिए अमृतसर या अटारी से वीजाप्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है।

इकबाल सिंह लालपुरा से मुलाकात करते हुए प्रो. सरचंद सिंह, प्रो. गुरविंदर सिंह मामनके आलमबीर सिंह व अन्य।

अमृतसर से संवाददाता राहुल सोनी की रिपोर्ट

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