पत्रकारों से उलझने से पहले झूठा आरोप मढ़ने से पहले एक बार जरूर सोच लेना कि पत्रकार न होते तो क्या होता
पत्रकारों से "उलझने" से पहले झूठा आरोप मढ़ने से पहले एक बार जरूर सोच लेना कि पत्रकार न होते तो क्या होता"

कुछ लोग कहते हैं मीडिया चौथा स्तंभ नहीं है पत्रकार अपने मन से चौथा स्तंभ बोलते रहते हैं।
चलो हमने मान लिया की पत्रकार चौथे स्तंभ की श्रेणी में नहीं आता।
परंतु पत्रकार ना होते तो आज देश की दिशा और दशा कैसी होती इसके बारे में गहराइयों में जाकर सोचिए।
जब एक आम आदमी को समस्या होती है उसकी बातों को कोई सुनने वाला नहीं होता तीनों स्तंभों से हार थक कर चुपचाप घर बैठने पर मजबूर होता है तब एक पत्रकार उसकी उम्मीद बनकर उसकी बातों को खबरों के माध्यम से हाईलाइट करता है फिर वही केस नया रूख लेता है और एक आम आदमी को न्याय मिल जाता है।
जब कोई कंपनी कोई संस्था दुकान वाले शोरूम वाले अपनी बातों को जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं प्रचार प्रसार करवाना चाहते हैं तब उन्हें भी एक पत्रकार याद आता है और एक पत्रकार की कलम के वजह से उनकी बात देश के हर एक नागरिक तक बड़ी आसानी से पहुंच जाती हैं।
आप लोगों ने करो ना काल में देखा होगा लॉकडाउन लगा लोग कितना परेशान हुए भूख से तड़पने लगे रोजी रोटी चली गई ऑक्सीजन के लिए मारामारी चारों तरफ फैली हुई थी अस्पतालों में बेड नहीं थे इन सब तस्वीरों को अपनी जान जोखिम में डालकर एक पत्रकार ने ही दिखाने का काम किया।
शासन प्रशासन के अटैच में रहकर जन जन के बीच सक्रिय होकर करोना महामारी में योद्धा की तरह लड़ने का एक पत्रकार ने भी काम किया।
देश के जनता तक सच्चाई लाना शासन प्रशासन से सवाल करना अपराध भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना एक पत्रकार ही हिम्मत कर सकता है।
शासन प्रशासन द्वारा सच्चाई को हमेशा छुपाने का काम किया गया है और आज भी किया जाता है यह बात हर किसी को पता है परंतु मीडिया लूटपाट हत्या बलात्कार अपहरण छीना झपटी जैसे जघन अपराधों का पर्दाफाश खबरो के माध्यम से करके जन जन तक पहुंचाने का कार्य किया है और आज भी कर रही है।
एक पत्रकार का दुश्मन शासन प्रशासन में बैठे भ्रष्टाचारी भी होते हैं और अपराधी भी होते हैं गुंडे बदमाश जेब कतरे नशेड़ी कब एक पत्रकार पर हमला कर दें कुछ कहा नहीं जा सकता।
आज के तारीख में एक पत्रकार पर झूठा आरोप झूठा मुकदमा बड़ी आसानी से मढ़ दिया जाता है।
कारण आम आदमी के लिए देश के जनता के लिए देश को मजबूती की ओर ले जाने के लिए एक पत्रकार अपनी जान को जोखिम में डालकर सच्चाई को दिखाने के लिए कड़वा सवाल करता है और कड़वा सवाल हर किसी को हजम नहीं होता।
इसलिए पत्रकारों पर हमला पत्रकारों को डराने धमकाने के लिए झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है ताकि पत्रकारों का मनोबल गिरे।
कुछ हमारे अपने भी पत्रकारिता छोड़कर चाटुकारिता चापलूसी पर उतर आए हैं जिसके कारण पत्रकारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है
अधिकतर उन पत्रकारों को जो निष्पक्ष दिखाने का काम करते हैं निस्वार्थ भाव से देश हित समाज कल्याण के लिए पत्रकारिता करके जन समस्याओं पर लिखते रहते हैं।
आप देशवासियों को पत्रकार पर आरोप लगे पत्रकार पर हमला हो पत्रकार पर झूठा मुकदमा दर्ज हो इन सब चीजों को गहराई से समझ लेना चाहिए तभी एक पत्रकार को गलत साबित करिए।
क्योंकि एक पत्रकार ही है जो आपकी आवाज बनता है आपकी बातों को शासन प्रशासन के बीच रखता है आप को न्याय मिले इसके लिए सवाल भी करता है पत्रकार!
रिपोर्ट मोहम्मद कलीम अंसारी
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